चींटियों की बारात
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एक थी चींटी। उसका रंग काला था। बच्चे उसे प्यार से कल्ली कहते थे। वह बहुत मेहनती थी दिन रात मेहनत करके अपना भोजन इकट्ठा करती थी उसके एक बड़ा परिवार था। धीरे-धीरे करके सारी चीटियां ढेर सारा भोजन इकट्ठा कर चुके थी।
एक दिन खूब तेज बारिश हुई चींटियों के बिल में पानी भर गया। चींटी अपना सारा भोजन अपने सारे साथियों के साथ लेकर ऊंचे स्थान पर जाने लगी। बच्चों ने चीटियों को जाते हुए देखा तो जोर-जोर से चिल्लाकर के कहने लगे, देखो-देखो चीटियों की बारात जा रही है। सभी बच्चे दौड़कर आए और चीटियों की बारात को देखने लगे। बच्चे तमाम प्रकार की बात करने लगे। बच्चे उन्हीं चीटियों में से किसी को दूल्हा और किसी को दुल्हन बताने लगे। चीटियांअपने साथ जो सामान ले जा रही थीं, उसको बच्चे बारात का सामान बताने लगे।
कुछ बच्चों ने बहुत ध्यान से देखा और कहां कि चीटियां अपने साथ अपने अंडों को ले जा रही हैं। तो कुछ ने कहा कि चीटियां अपने साथ अपने बच्चों को ले जा रही हैं। बच्चों ने खूब आनंद लिया। कुछ बच्चों ने दुष्टता भी दिखाई। वे अपने पैरों से चीटियों को कुचलने लगे। तभी उसी में से रामू ने उनको ऐसा करने से मना किया। उसने कहा कि चीटियां निर्दोष होती हैं। ये कल्ली चींटी का परिवार है। हमे इनके साथ ऐसा नही करना चाहिए। हमें किसी प्राणी को नहीं मारना चाहिए।
धीरे-धीरे करके चीटियां ऊंचे स्थान पर एक बिल में चली गईं। चीटियां अब सुरक्षित स्थान पर पहुंच चुकी थीं। अब उनका भोजन भी सुरक्षित था। एक दिन चीटियों के बिल के पास रोटी का छोटा सा टुकड़ा गिरा था। बच्चों ने देखा कि एक चींटी उस टुकड़े को अपने बिल की तरफ खींच रही थी। देखने में रोटी का टुकड़ा चींटी से कई गुना बड़ा था। बच्चों को आश्चर्य हुआ कि एक छोटी सी चींटी अपने से ज्यादा बढ़ा और वजनी वस्तु कैसे खींच लेती है। तो टिंकू चाचा ने बताया कि चीटियों को भगवान ने बहुत बल दे रखा है। वे अपने से 10 गुना ज्यादा भारी सामान अकेले ही खींच सकती हैं। इतना ही नहीं वे इतना भारी सामान लेकर के उल्टा खड़ी दीवाल पर चढ़ा सकती हैं। चींटी बहुत मेहनती होती हैं। वे दिन रात मेहनत करती हैं। ऐसे ही हमें भी मेहनत करना चाहिए। हमें चीटियों से सीखना चाहिए।
दिनेश कुमार भूषण