मेढक की शादी
© Copyright, All right reserved.
उमड़ घुमड़ के बादल बरसे, बिजली चमके मेघा गरजे।
झम झमाझम पानी बरसे, मेढक निकले अपने घर से।
मेढक की अब सभा लगी है, जीवन की अब आश जगी है।
टर टर टर टर मेढ़क बोलें, बड़े राज की बात हैं खोलें।
बड़के मेढक की है शादी, सबने मिल आवाज लगा दी।
बने बाराती सारे मेढक, जमके मौज उड़ाए हैं।
मछली, कछुआ, जोंक सभी अब, बने बाराती आएं हैं
टर्र टर्र करे मेढक जी, मेढकिया संग लाएं हैं।
उनकी दुल्हन बहुत है सुंदर, मन ही मन हरषाए हैं।
मछली, कछुआ, जोंक सभी अब, बने बाराती आएं हैं
बने बाराती सारे मेढक, जमके मौज उड़ाए हैं।
कमल कमुदनी जलकुम्भी भी, मेढक को आशीष दिए।
रहे सलामत जोड़ी इनकी, मिल दोनों सौ साल जिए।
इतने मेढक देख के बच्चे, बहुत अधिक हरषाए हैं।
टर्र टर्र करे मेढक जी, मेढकिया संग लाएं हैं।
दूल्हा दुल्हन के स्वागत में, सब निकले है अपने घर से।
उमड़ घुमड़ के बादल बरसे, बिजली चमके मेघा गरजे।
रिमझिम रिमझिम पानी बरसे, मेढक निकले अपने घर से।
दिनेश कुमार भूषण